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☀जय श्री राम☀
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श्रीरामचन्द्र स्तुति :-
नमामि भक्तवत्सलं कृपालु शील कोमलं,
भजामि ते पदांबुजं अकामिनां स्वाधामदं।
निकाम श्याम सुंदरं भवांबुनाथ मन्दरं,
प्रफुल्ल कंज लोचनं मदादि दोष मोचनं।।1।।
प्रलंब बाहु विक्रमं प्रभोऽप्रमेय वैभवं,
निषंग चाप सायकं धरं त्रिलोक नायकं।
दिनेश वंश मंडनं महेश चाप खंडनं,
मुनीन्द्र संत रंजनं सुरारि वृंद भंजनं।।2।।
मनोज वैरि वंदितं अजादि देव सेवितं,
विशुद्ध बोध विग्रहं समस्त दूषणापहं।
नमामि इंदिरा पतिं सुखाकरं सतां गतिं,
भजे सशक्ति सानुजं शची पति प्रियानुजं।।3।।
त्वदंघ्रि मूल ये नराः भजंति हीन मत्सराः,
पतंति नो भवार्णवे वितर्क वीचि संकुले।
विविक्त वासिनः सदा भजंति मुक्तये मुदा,
निरस्य इंद्रियादिकं प्रयांति ते गतिं स्वकं।।4।।
तमेकमद्भुतं प्रभुं निरीहमीश्वरं विभुं,
जगद्गुरूं च शाश्वतं तुरीयमेव केवलं।
भजामि भाव वल्लभं कुयोगिनां सुदुर्लभं,
स्वभक्त कल्प पादपं समं सुसेव्यमन्वहं।।5।।
अनूप रूप भूपतिं नतोऽहभुर्विजा पतिं,
प्रसीद मे नमामि ते पदाब्ज भक्ति देहि मे।
पठंति ये स्तवं इदं नरादरेण ते पदं,
व्रजंति नाथ संशय तवदीय भक्ति संयुताः।।6।।
।। इति श्रीमद्गोस्वामी तुलसीदासकृत श्रीरामचन्द्र स्तुतिः सम्पूर्णा।।
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