❤जय श्री राधे❤

 
❤जय श्री राधे❤
रँगीली राधा रसिकन प्रान | सरस किशोरी की रसबोरी, भोरी मृदु मुसकान | सुबरन बरन गौर तनु सुबरन, नील बरन परिधान | कनकन मुकुट लटनि की लटकनि, भृकुटिन कुटिल कमान | कनकन कंकन कनकन किंकिनि, कनकन कुंडल कान | लखि लाजत श्रृंगार लाड़लिहिं, कहँ लौं करिय बखान | होत ‘कृपालु’ निछावर जापर, सुंदर श्याम सुजान || भावार्थ – रंगीली राधा रसिकों को प्राण के समान प्रिय हैं | रसमयी किशोरी जी की प्रेम रस से सरोबार भोली सी मुस्कान अत्यन्त ही मधुर है | किशोरी जी की देह का रंग सुवर्ण के रंग के समान अत्यन्त सुन्दर है | वे नीले रंग की साड़ी पहने हुए हैं | सुवर्ण के मुकुट, घुँघराले बालों की लटक एवं धनुष के समान टेढ़ी भौहें नितांत कमनीय हैं | हाथ में सुवर्ण के कंकण, कमर में सुवर्ण की किंकिणी एवं कानों में सुवर्ण के कुंडल मन को बरबस लुभा रहे हैं | कहाँ तक कहें किशोरी जी की श्रृंगार माधुरी को देखकर स्वयं श्रृंगार भी लज्जित हो रहा है | ‘श्री कृपालु जी’ कहते हैं कि सबसे बड़ी बात तो यह है कि त्रिभुवन मोहन मदन मोहन भी स्वयं किशोरी जी के हाथों बिना दाम के बिके हुए हैं |
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