❤जय श्री राधे❤

 
❤जय श्री राधे❤
Diese Stamp wurde 3 verwendet.
सरस किशोरी, वयस कि थोरी, रति रस बोरी, कीजै कृपा की कोर* साधन हीन, दीन मैं राधे, तुम करुणामई प्रेम-अगाधे..... काके द्वारे, जाय पुकारे, कौन निहारे, दीन दुखी की ओर.... सरस किशोरी, वयस कि थोरी, रति रस बोरी, कीजै कृपा की कोर। करत अघन नहिं नेकु उघाऊँ, भरत उदर ज्यों शूकर धावूँ, करी बरजोरी, लखि निज ओरी, तुम बिनु मोरी, कौन सुधारे दोर। सरस किशोरी, वयस कि थोरी, रति रस बोरी, कीजै कृपा की कोर। भलो बुरो जैसो हूँ तिहारो, तुम बिनु कोउ न हितु हमारो, भानुदुलारी, सुधि लो हमारी, शरण तिहारी, हौं पतितन सिरमोर। सरस किशोरी, वयस कि थोरी, रति रस बोरी, कीजै कृपा की कोर। गोपी-प्रेम की भिक्षा दीजै, कैसेहुँ मोहिं अपनी करी लीजै, तव गुण गावत, दिवस बितावत, दृग झरि लावत, ह्वैहैं प्रेम-विभोर। सरस किशोरी, वयस कि थोरी, रति रस बोरी, कीजै कृपा की कोर। पाय तिहारो प्रेम किशोरी !, छके प्रेमरस ब्रज की खोरी, गति गजगामिनि, छवि अभिरामिनी, लखि निज स्वामिनी, बने कृपालु चकोर॥ सरस किशोरी, वयस कि थोरी, रति रस बोरी, कीजै कृपा की कोर। सरस किशोरी वयस की थोड़ी रति रस बोरी कीजै कृपा की कोर श्री राधे कीजै कृपा की कोर हे प्रेमरस से युक्त किशोरी जी! हे किशोर अवस्था वाली राधिके! हे प्रेमरस में सराबोर वृषभानुदुलारी! मेरे ऊपर भी कृपा की दृष्टि करो। हे किशोरी जी! मैं समस्त साधनों से रहित एवं अकिंचन हूँ और तुम अगाध प्रेम वाली अकारण-करूण हो, फिर हम तुम्हें छोड़कर किसके द्वार पर अपना दुःख सुनाने जायें। साधन हीन, दीन मैं राधे, तुम करुणामयी प्रेम-अगाधे, काके द्वारे,जाय पुकारे, कौन निहारे दीन-दुखी की ओर यदि जायें भी तो मुझ अधम की ओर कौन देखेगा। हे किशोरी जी!निरन्तर पापों को करते हुए मेरा पेट कभी नहीं भरता एवं शूकर की भाँति सदा भटकता हुआ विषय रूपी विष्ठा को ही खोजा करता हूँ। हे किशोरी जी! तुम्हारे बिना दूसरा कौन है जो अपनी अकारण कृपा से बरबस मेरी विगडी बना दे। हे वृषभानुनंदिनी!मैं भला-बुरा जैसा भी हूँ तुम्हारा ही तो हूँ। तुम्हारे बिना मेरा हितैषी दूसरा है ही कौन? "भलो-बुरो जैसो हूँ तिहारो, तुम बिन कोउ न हितु हमारो" भानुदुलारी सुधि लो हमारी, शरण् तिहारी,हौं पतितन सिरमौर। हे भानुदुलारी! यद्यपि हम पतितो के सरदार हैं फिर भी अब तुम्हारी शरण मे आ गये हैं। हमारे ऊपर कृपा करो। हे रासेश्वरी! मुझे किसी प्रकार भी गोपी-प्रेम की भिक्षा देकर अपनी बना लो।जिससे मैं तुम्हारे प्रेम में पागल होकर, तुम्हारे गुणों को गाते हुए एवं आँखों से आँसू बहाते हुए अपना जीवन व्यतीत करूँ। "गोपी-प्रेम की भिक्षा दीजै, कैसेहु मोहिं अपनी करि लीजै" तोरे गुण गावत दिवस बीतावत दृगभरी आवत हुई हो प्रेम विभोर श्री राधे कीजै कृपा की कोर हे किशोरी जी! तुमसे प्रेम प्राप्त करके प्रेम-रस में विभोर होकर मैं ब्रज की गली-गली में दीवाना बनकर डोला करूँ। सुन्दरता से भी अधिक सुन्दर, मतवाले हाथी के समान चाल वाली अपनी स्वामिनी को देखकर 'श्री कृपालु जी' कहते हैं कि मेरी आँखे कब चकोर के समान रूपमाधुरी का पान करेंगी ? सरस किशोरी वयस की थोड़ी रति रस भोरि कीजै कृपा की कोर श्री राधे कीजै कृपा की कोर किशोरी जू मेरी लाडो कीजै कृपा की कोर राधे~राधे
Tags:
 
shwetashweta
die hochgeladen wurde von: shwetashweta

Dieses Bild bewerten:

  • Aktuelle Bewertung: 5.0/5 Sternen.
  • 1
  • 2
  • 3
  • 4
  • 5

4 Stimmen.