❤श्री राधिका वृन्दावनचन्द्र❤

 
❤श्री राधिका वृन्दावनचन्द्र❤
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आरती युगलकिशोर की कीजै, तन मन न्यौछावर कीजै गौरश्याम मुख निरखन लीजे, हरी का स्वरुप नयन भरी पीजै रवि शशि कोटि बदन की शोभा. ताहि निरिख मेरो मन लोभा ओढे नील पीट पट सारी . कुंजबिहारी गिरिवरधारी फूलन की सेज फूलन की माला . रतन सिंहासन बैठे नंदलाला कंचन थार कपूर की बाती . हरी आए निर्मल बही छाती श्री पुरषोत्तम गिरिवरधारी. आरती करत सकल ब्रजनारी नन्द -नंदन ब्रजभान किशोरी . परमानन्द स्वामी अविचल जोरी
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