❤श्री राधा रसिकबिहारी❤

 
❤श्री राधा रसिकबिहारी❤
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वृन्दावन कुंज भवन नाचत गिरधारी । धर-धर-धर मुरली अधर , भर भर स्वर मधुर मधुर । कर-कर नटवर स्वरुप , सुंदर सुखकारी ।। वृन्दावन कुंज .... घन घन घन बजत ताल . ठुम ठुम ठुम चालत चाल । चरनन छन छनननन , नुपुर धुन प्यारी ।। वृन्दावन कुंज .... धीरे धीरे धीरे करत गान , फिर फिर फिर लेत तान । मिल मिल मिल रचत रास , संग गोप नारी ।। वृन्दावन कुंज .... वद वद वद वदन चंद , हँस हँस हँस सहस मंद । ब्रह्मानंद नंदनंदन , मदन मोहन बलिहारी ।। वृन्दावन कुंज ....
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